परिचय

 परिचय क्या दूँ मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हूँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हूँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हूँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हूँ।


ललित शर्मा जी
क्या बताऊँ आपको अपने बारे में, जिंदगी में कुछ खास कहने के लिए नहीं है . बहुत सुहाना सफ़र रहा है आज तक जिंदगी का , पर कुछ खालीपन फिर भी महसूस होता रहा . दुनिया देखने ,सोचने और समझने में अलग है. क्या कुछ नहीं दिखाई देता हमें सुबह से शाम तक. कितना जोड़ पाते हैं हम खुद को उन स्थितियों और परिस्थितियों से, बस यही कुछ समझने और जानने की कोशिश रहती है कि हमेशा दुनिया में इंसान बन कर जी सकूँ .

जीवन अनिश्चितताओं और विरोधाभासों का संगम है , इसे समझना आवशयक है ...बस इसी समझ को पाने के प्रयास अनवरत जारी है ...! ब्लॉग से मेरा परिचय होना भी एक अजीब घटना है । (उसके बारे में फिर.....! ) लिखने का शौक तो बर्षों से रहा है. ब्लॉग ने यह पूरा कर दिया. .ब्लॉग अपने आप में एक नशा है, जितना देखता, पढता, लिखता , सोचता और समझता हूँ , उतना ही इसमें डूबने का मन करता है ....!